सब के साथ ऐसा नहीं होता, पर कई बार दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है और लगता है, जैसे किसी ने हमें आम की गुठली की तरह फालतू समझ कर फेंक दिया। आप अकेले व्यर्थ मिट्टी के ढेर पर पड़े हो... अकेले का सफर भी उम्मीद भरा हो सकता है... किसी के पालन पोषण, पानी डालने की उम्मीद में न रहो। हर पेड़ इंसान ने नही लगाया। आपने भी ईश्वर के लगाए पेड़ की तरह अंकुरित होना है एक दिन... अपने आप बारिश कर देनी है, अपने आप धूप निकाल देनी है ईश्वर ने। दुनिया के सब से विशाल, सबसे छायादार पेड़ बनने का सफर आपका अकेले का भी हो सकता है। ऐसा पेड़ जो एक दिन तो फेंकी हुई गुठली था। ऐसा पेड़, जो आज कई पक्षियों का घर है, कई राहगीरों के लिए छाया और कई के लिए भोजन! और इस पेड़ के फलों से नए पेड़ बनने और उनसे बदलाव की समर्थता का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता... ईश्वर के रंग है ये। जिस ने तुम्हें गुठली की तरह फेंका है, ये सब उसकी समझ से परे हैं। "पेड़" बनें। --मनदीप कौर टांगरा (मेरे दिल से एहसास,मेरी कलम से) आप मेरे साथ नीचे दिये लिंक पे Career Counselling, Life Counselling, Business Consulting बुक कर सकते हैं : www.calendly.com/tangra Or call us at 9988771366
ये चंद लोग जो बस्ती में सबसे अच्छे हैं इन्ही का हाथ है मुझे बुरा बनाने में
इन हवाओं से कह दो... ज़रा रुक रुक के चला करें... कि हम से टकराना आसान नहीं... रुख बदल जायेंगे तुम्हारे। - मंदीप
जो जियें ही दूसरों के लिए पहलेवो क्या डरें मौत के खबरनामो से..जिनको खरीद ना सके कोई दौलत सेवो क्या बिकेंगे हीरों की खानों से..किसी बात को समझें ना ग़म हमहमारी साँसें चलतीं हैं मुस्कुराने सेअगर इतना है, अहंकार मन मेंज़रा खरीद के दिखाओ,प्यार बड़ी बड़ी दुकानों से...! ~ मंदीप
टांगरा गांव की निवासी गुरप्रीत कौर गिल ने आज हमारे कार्यालय में दो साल पूरे किए हैं और वो एक प्रेरक उदाहरण है हमारी कंपनी की परिकल्पना का। जैसा कि गांवों का प्रचलन है, उसके माता-पिता भी 12वीं की पढ़ाई के बाद उसका शादी कर देना चाहते थे लेकिन आज वह सिंबाक्वाट्स में वरिष्ठ वेब डवेलपर के रूप में काम कर रही है और अच्छा वेतन ले रही है। उसने संस्थान में करीब तीन साल पहले काम करना शुरू किया था और एक साल की ट्रेनिंग के बाद कंपनी में स्थायी कर्मचारी बनी। यही नहीं, कम से कम तीन साल कंपनी में अनिवार्य रूप से काम करने की सहमती दे कर हमारे लॉयलटी बोनस प्रोग्राम का भी हिस्सा बनी है। आज उसकी टीम सें 2-3 सदस्य हैं, जिन्हें वह काम सीखने में मदद भी करती है।उसके घर की बात करें तो आज भी वह अपने गांव की संस्कृति से जुड़ी है। पिता गुलजार सिंह और माता हरप्रीत कौर का दूध का काम है, जिसमें वह हाथ बंटाती है। वे हाथ जिनकी उंगलियां दिन भर कंप्यूटर के कीबोर्ड पर दौड़ती हैं, सुबह नौ बजे ऑफिस पहुंचने से पहले घर पर दूध के सारे बर्तन साफ करते हैं।यही नहीं, गुरप्रीत अपनी पढ़ाई भी आगे जारी रखते हुए इन दिनों गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से बीसीए की पढ़ाई कर रही है और साथ साथ ऑफिस में कोडिंग का काम सीख रही है ताकि जल्द से जल्द आईटी विभाग में शिफ्ट हो सके, जहां वेतन भी बेहतर मिल सकता है।कंपनी में महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण तथा अनुशासन की वह विषेश रूप से सराहना करते हुए इसे सिंबाक्वार्ट्स की सबसे बड़ी ताकत मानती है।सिम्बा क्वार्ट्स पंजाब की पहली आईटी कंपनी है, जो एक छोटे से गांव टांगरा में 130 से ज्यादा युवाओं को व्हाइट कॉलर नौकरियां देने के साथ विश्व के विभिन्न देशों के उपभोक्ताओं के लिए काम कर रही है। यह एक ऐसी कंपनी है, जो लैंगिक समानता को प्राथमिकता देती है और महिला कर्मचारियों को उपयुक्त माहौल देती है। अपनी कंपनी पॉलिसी में बदलाव कर के अब हम अपने कर्मचारियों में 50 प्रतिशत महिलाओं को और 15 प्रतिशत ग्रामीण युवाओं को काम देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
मां अपने कान के टोपस की कोली भी संभाल कर रखती है कि बेटी की शादी के आभूषण बनेंगे तो यह सोना भी काम आएगा। सोने के गहने तो बनवाती है, लेकिन गुम जाने के डर से पहनती नहीं। यदि कहीं गिर जाए या गुम जाए तो उसे ढूंढने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देती या दुखी होती रहती। हंसी आती थी मुझे। यदि कभी सोना गुम हो जाता... पापा को तो गुस्सा भी नहीं आता था। बस मां का मूड ठीक करने की पूर जोर कोशिश में लग जाते।सोचती हूं, पापा भी एक बोरी और... एक बोरी और... उठा-उठा कर अपने आप से कहते होंगे कि बेटी के कानों के झुमके अब बन जाएंगे। मां ने ही शायद उन्हें ऐसा कहा होगा। कुछ लोगों का कसूर नही होता... बस यही एक कसूर होता है कि वो आम परिवार के होते हैं। गरीबी में सोच में पड़ जाते हैं कि सोना बनाएं या बेटी को पढ़ाएं। मेरे माता पिता ने मुझे पढ़ाना चुना। मैंने MBA की पढ़ाई में प्रथम स्थान प्राप्त किया। 3-3 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज ले कर भी पढ़ाया पिता ने लेकिन कभी बेईमानी की कमाई नहीं लगाई अपने बच्चों पर। पिता बेटियों को प्यार करते हैं लेकिन मेरे पिता ने प्यार के साथ सत्कार भी खूब दिया। मुझे झांजरों का बहुत शौक था, क्योंकि पंजाबी जुत्ती बहुत पहनती थी और उसके साथ वो जचती बहुत थीं। मैं तो पंजाबी जुत्ती को भी घुंगरू लगवा कर रखने वाली लड़की थी। आज भी याद है मुझे जब शादी की तयारी के दौरान मैं मां के साथ झांजरें लेने गई थी। मां ने गुरु बाजार में एक ऐसी दुकान चुनी, जो बहुत बड़ी थी और वहां सारा ही चांदी का ही काम था। मैंने सबसे भारी और सब से सुंदर झांजरें चुनी। उस समय वे 10-11 हजार की बनी थीं। मां को भी लगा होगा कि सोना तो आग के भाव जा रहा है, शायद ज्यादा न ले सकें, तो चांदी की झांजरे सब से सुंदर ले दीं। शहर की अच्छी दुकान से अपनी जेब के अनुसार सोने के सेट भी ले दिए। चूड़ी, मुंदरी... जो भी मां को जरूरी लगा, सब ले दिया मुझे। मेरी शादी पर अपना सब छोटा-मोटा सोना बेच दिया मां ने, क्योंकि इस समय के लिए ही हर मां ने जोड़ा होता है। बहुत बड़ा दिल होता है माता -पिता का। मैं तो आज तक कुछ नहीं बना कर दे पाई उन्हें। शादी के कुछ दिन बाद ही सारा सोना ससुराल वालों के कहने पर बैंक में जमा करवा दिया था। कई बार पैसे की बहुत तंगी होती... मेरे साथी की ओर से भी 'ना' हो जाती तो मैं कहती थी, 'यही दे दो मुझे'। उसे लगता था कि मैं बेच दूंगी... जो सच भी था। इस लिए वो 'नहीं' कह देता था। मैंने सारी उम्र एक ग्राम भी सोना नहीं बनाया शादी के बाद। उसे लगता था कि तंगी होगी, तो इस्तेमाल कर लेगी। मुझे लगता था कि तंगी में ही इस्तेमाल के लिए होता है सोना।कचहरी में जब अंतिम तिथि थी... जो भी सोना मेरे पास था, शादी वाली अंगूठी, मंगनी वाला छल्ला, कानों के टॉपस... मैंने कहा, "ये रख लो और जो मेरे माता पिता ने दिया वो भी"। पति की जगह उसके माता पिता आए थे। मेरे अंदर जैसे रूह ने धमाका किया और आवाज आई "नही चाहिए"। मेरे माता-पिता का अब यह कहना है, 'सोना नहीं बनाया हमने, सोने जैसी बेटी बनाई है'। सोने जैसी मेहनती बेटियां बनो और बनाओ। सोने जैसी बेटियों के किरदार कभी पैसे या सोने से तुल नही सकते।मां के साथ फिर से लूंगी मैं झांजरें, बैंक में रखने के लिए नहीं, पैरों के श्रृंगार के लिए। मां कहती हैं, मत लिख... पर लिखना ही मरहम जैसा लगता है मुझे।- मनदीप कौर टांगरा
मैंने करीब ढाई साल नौकरी की। नौकरी करते हुए भी हम अपने आप को निखारते हैं। बस कुछ लोगों को वहम होता है कि मेरे कारण कंपनी या मालिक को ही लाभ हो रहा है। उल्टा हम लाखों करोड़ों की प्रॉपर्टी में बैठ कर पैसे कमा रहे होते हैं और अपने हुनर को भी निखार रहे होते हैं। नौकरी करते हुए यही सोच थी मेरी।यदि हम नौकरी करते हुए भी काम को दिल से करें, तो साधारण कर्मचारी भी बड़ी पदवी पर पहुंच सकता है।मैं पिछले दिनों IndiGo Airlines के राष्ट्रीय स्तर के HR प्रमुख को मिली तो उन्होंने बताया कि हर साल कई airhostess तरक्की कर के pilot बन जाती हैं। इसी प्रकार लोग टीचर से प्रिंसिपल बन जाते हैं। नौकरी करो, चाहे कारोबार, लक्ष्य बड़ा रखो। लक्ष्य धन कमाने के लिए बड़ा नहीं रखना, यह महसूस करने के लिए बड़ा रखना है कि ईश्वर ने मुझ में कितनी जान, कितनी काबिलियत डाल कर धरती पर भेजा है। खुद को चुनौती दो, कि कहां तक सफर तय कर सकता हूं। आप देखेंगे कि इसका कोई अंत आपको नही मिलेगा। सफलता की परतें खुलती जायेंगी।यह सफलता की राह उन्हें ही नसीब होती है, जो निरंतर मेहनत करते हैं। जिन्हें बरसात या तूफान लेट नहीं करते। जिन्हें कोई बीमारी नौकरी पर जाने से रोक नहीं सकती और जो अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ नहीं करते, उन्हें पता होता है कि मैं दिल से काम नहीं कर रहा, मैं मालिक को नहीं अपने आप को बेवकूफ बना रहा हूं। उन्हें पता होता है कि मेरे एक दिन काम पर न जाने से किस किस का नुकसान हो सकता है। नुकसान की नजर से मालिक को नहीं ग्राहक को देखो। हो सकता है कि मेरे न जाने से आज ग्राहक लौट जाए और उसका नुकसान हो जाए।यदि मैं अध्यापक हूं, मेरे जाने से हो सकता है कि बच्चा कुछ नया सीख जाए, डिप्रैशन में जाने से बच जाए। यदि मैं डॉक्टर या नर्स हूं, तो हो सकता है, किसी की जान बच जाए।आपको पता होना चहिए कि आपकी भी एहमियत है, मालिक कहे न कहे, आपको यह पता होना चाहिए कि आपकी उपस्थिति से किसी ग्राहक को, किसी बच्चे को, किसी मरीज को, फर्क पड़ता है। सब से बड़ा नुकसान कि हमारा अपना अनुभव घटता है। उन्नति में अनुभव की बहुत अहमियत है। स्वयं को खास और बहुत जरूरी समझ कर इस दुनिया को अपनी सेवाएं दो। खुश रह कर ईमानदारी के साथ नौकरी करो, तरक्की करो।यह न भूलो कि असली 'मालिक' तुम्हें हर पल देख रहा है। तुम्हें चिंता की जरूरत नहीं। हमारा काम है केवल कर्म करना।- मनदीप कौर टांगरा
जो जियें ही दूसरों के लिए पहलेवो क्या डरें मौत के खबरनामो से..जिनको खरीद ना सके कोई दौलत सेवो क्या बिकेंगे हीरों की खानों से..किसी बात को समझें ना ग़म हमहमारी साँसें चलतीं हैं मुस्कुराने सेअगर इतना है, अहंकार मन मेंज़रा खरीद के दिखाओ,प्यार बड़ी बड़ी दुकानों से...! ~ मंदीप
उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में लखनऊ में आयोजित 'स्मार्ट गांव पंचायत सम्मेलन' में भाग लेना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। दो दिवसीय इस सम्मेलन में आज मैंने 'टांगरा बिजनेस मॉडल' के बारे में सब को बताया और गांव में आईटी कंपनी की चुनौतियों का भी जिक्र किया।पंजाब से मुझे चुनने के लिए मैं भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय की मैं आभारी हूं।आशा करती हूं कि जल्द ही गांव में भी आईटी कंपनियों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो सकेगी।
गांवों की राहों पर चलते चलते और बसों की सीढियाँ चढ़ते- चढ़ते अब महसूस होता है कि वही राह और सीढियाँ सफलता की सीढियाँ में बदल रहे हैं।यह तो हमारी सोच है, जहाज तो वही हैं। जब कोई विदेश जाता है तो बिल्कुल ठीक लगता है, मगर कोई उसी जहाज में लौट आए तो लोग कहते हैं कि इसका दिमाग खराब हो गया है। जहाज का इंतजार अच्छा लगता है। देर हो जाए तो कोई बात नहीं। लेकिन बस की बारी हमारी सोच पूरी उलट हो जाती है। क्या भारत में कोई अनुशासन नहीं? ये सब हमारे दिमाग में है।भारत के गांव कितने सुंदर हैं। शहरों से साफ, हरे भरे। भोजन भी बेहतर, सांस लेने के लिए वरदान है गांव की हवा। अगर हम यहीं बस जाएं, यहीं की रौनक बढ़ाएं। छोटे-बड़े अपने कारोबार सोचें, गांव से ही।-- मनदीप कौर टांगरा
सब के साथ ऐसा नहीं होता, पर कई बार दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है और लगता है, जैसे किसी ने हमें आम की गुठली की तरह फालतू समझ कर फेंक दिया। आप अकेले व्यर्थ मिट्टी के ढेर पर पड़े हो... अकेले का सफर भी उम्मीद भरा हो सकता है... किसी के पालन पोषण, पानी डालने की उम्मीद में न रहो। हर पेड़ इंसान ने नही लगाया। आपने भी ईश्वर के लगाए पेड़ की तरह अंकुरित होना है एक दिन... अपने आप बारिश कर देनी है, अपने आप धूप निकाल देनी है ईश्वर ने। दुनिया के सब से विशाल, सबसे छायादार पेड़ बनने का सफर आपका अकेले का भी हो सकता है। ऐसा पेड़ जो एक दिन तो फेंकी हुई गुठली था। ऐसा पेड़, जो आज कई पक्षियों का घर है, कई राहगीरों के लिए छाया और कई के लिए भोजन! और इस पेड़ के फलों से नए पेड़ बनने और उनसे बदलाव की समर्थता का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता... ईश्वर के रंग है ये। जिस ने तुम्हें गुठली की तरह फेंका है, ये सब उसकी समझ से परे हैं। "पेड़" बनाना है हमने।--मनदीप कौर टांगरा (मेरे दिल से एहसास,मेरी कलम से)
सब के साथ ऐसा नहीं होता, पर कई बार दुखों का पहाड़ टूट
पड़ता है और लगता है, जैसे किसी ने हमें आम की गुठली की तरह
फालतू समझ कर फेंक दिया। आप अकेले व्यर्थ मिट्टी के ढेर पर
पड़े हो... अकेले का सफर भी उम्मीद भरा हो सकता है... किसी
के पालन पोषण, पानी डालने की उम्मीद में न रहो। हर पेड़
इंसान ने नही लगाया। आपने भी ईश्वर के लगाए पेड़ की तरह
अंकुरित होना है एक दिन... अपने आप बारिश कर देनी है, अपने
आप धूप निकाल देनी है ईश्वर ने। दुनिया के सब से विशाल, सबसे
छायादार पेड़ बनने का सफर आपका अकेले का भी हो सकता है। ऐसा
पेड़ जो एक दिन तो फेंकी हुई गुठली था। ऐसा पेड़, जो आज कई
पक्षियों का घर है, कई राहगीरों के लिए छाया और कई के लिए
भोजन! और इस पेड़ के फलों से नए पेड़ बनने और उनसे बदलाव की
समर्थता का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता... ईश्वर के रंग है
ये। जिस ने तुम्हें गुठली की तरह फेंका है, ये सब उसकी समझ
से परे हैं। "पेड़" बनाना है हमने।--मनदीप कौर
टांगरा (मेरे दिल से एहसास,मेरी कलम से)
- मंदीप
पंजाब के हर गांव में जैसा प्यार और सत्कार मिलता है, वैसा
ही महाराष्ट्र में औरंगाबाद से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित
दूनवाड़ा में भी मिला। यहां मैं श्रीराम नारायणन जी के
आमंत्रण पर गई थी। गांव वालों ने बड़े आदर से पारंपरिक टोपी
पहना कर स्वागत किया।मैंने वहां के युवाओं को अपने टांगरा
आईटी बिजनेस मॉडल के बारे में बताया और आईटी में करियर बनाने
के लिए प्रेरित किया।नारायणन जी की कंपनी ने इस गांव को गोद
लिया है। गांव के उत्थान के लिए उनकी कंपनी अनेक अच्छे काम
यहां कर रही है, जैसे स्वच्छता अभियान चलाना, वाटर ट्रीटमेंट
प्लांट लगवाना, आदि। अब वह आईटी कंपनी के टांगरा बिजनेस मॉडल
को भी वहां लागू करवाना चाहते हैं, ताकि युवाओं को गांव में
ही सफेदपोश नौकरियां मिल सके।जब वहां के युवाओं को पूछा गया
कि क्या वो आईटी कंपनी का काम सीखना चाहते है, तो वे टांगरा
आकर भी सीखने को तैयार थे। उनका उत्साह बताता है कि गांव के
युवाओं में अपार ऊर्जा है, जिसे सही दिशा दिखाई जा सकती है।
गांवों में भी आईटी कंपनियां खोली जा सकती हैं या अन्य
सफेदपोश रोजगार भी पैदा किए जा सकते हैं।
- मंदीप
अकेले चलना काफी मुश्किल है, पर नई राहें भी इसी तरह मिलती हैं। वो राहें जिन पर पहले कोई चला ही न हो। लोग कहते हैं आप अलग हैं। भीड़ से अलग दिखता है आपका काम। यह भी तो है कि राह बनाने में जुटी भी खुद ही हूं। पंजाब के ग्रामीण क्षेत्र की पहली IT कंपनी। जहां बड़े बड़े कारोबारियों ने गांव वालों पर विश्वास न किया और IT के क्षेत्र को शहरों तथा चंडीगढ़ तक सीमित रखा। आज दुनिया सोच रही है पंजाब में IT गांव स्थापित करने के लिए। पंजाब को अच्छी नीति की जरूरत है, ताकि बाहर की कंपनियों द्वारा यहां कारोबार स्थापित करने के बजाय, पंजाब के नौजवान खुद IT में अपना कारोबार खोलें।--मनदीप कौर टांगरा
भले ही आपको कभी किसी ने ना कहा हो कि आप एक संवेदनशील व्यक्ति हो और मैं आपकी रुह की, इस प्यार भरी आत्मा की कदर करता हूं... अपनी अच्छाई कभी न छोड़ो। तुम तो रोंदू हो, गंभीर हो, बहुत सोचती हो... महिलाओं और पुरुषों को ये सब आम सुनने को मिलता है... उन्हें, जिनके दिल अत्यधिक कोमल होते हैं। कमी तुम्हारे में नहीं किसी और में भी हो सकती है.. उस व्यक्ति को निस्वार्थ प्यार नहीं करना आता, बनती इज़्ज़त नहीं करनी आती। बीते समय में कुछ भी हुआ हो .. पर अब समय आपके चमकने का है, सफलता की सीढ़ी चढ़ने का है। समय आपका अपना है... हर दिन नया कुछ सोचने का और करने का भी। अपने आज को पहचानो। आशंकाओं को किनारे कर के अपने आप पर विश्वास करो। अपनी विनम्रता और स्नेहिल व्यक्तित्व को ईश्वर का वरदान मानो। दुनिया की क्रूरता देख कर अपनी अच्छाई को मत छोड़ो। यह संवेदनशीलता ईश्वर हर किसी को नहीं बख्शता। प्यार करने की ताकत किसी से डरने या किसी को डराने से बहुत ज्यादा होती है।
धन्यवाद माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हमें एक पहचान देने के लिए। दुनियाँ के कई देशों से आने वाले 'कारोबार जगत के सिख समुदाय के प्रतिनिधिमंडल' में से एक बनना हमारे लिए गर्व की बात थी। सिंबाक्वार्ट्स की टीम के सदस्य और मेरे गांव टांगरा के निवासी दिल की गहराइयों से आपके आभारी हैं।सिख समुदाय के लिए प्रधानमंत्री जी द्वारा दिए गए योगदान की मैं सराहना करती हूं।सफलता के इस मीलपत्थर को पाने में सहायक मेरी टीम, दोस्त और परिवार के सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसके लिए मैं उनकी ऋणी हूं। वे सभी मेरे इस उद्यमी सफर की कठिन परिस्थितियों और चुनौतियों में मेरे साथ खड़े रहे हैं।हम पंजाब के टांगरा गांव से आईटी सेवाओं और डिजिटल मार्केटिंग की एक कंपनी चला रहे हैं। हम 110+ सदस्यों की टीम हैं।'टांगरा - एक अनोखा बिजनेस मॉडल' ग्रामीण भारत में सफेदपोश नौकरियां पैदा कर रहा है। बेरोजगारी, ब्रेन ड्रेन तथा गांवों से शहरों की ओर हो रहे पलायन की समस्याओं पर अंकुश लग रहा है। हम एक स्वस्थ वातावरण प्रणाली का निर्माण कर रहे हैं, जिससे कंपनी के कर्मचारियों और स्थानीय लोगों का रहन सहन सुधार रहे हैं। गत 10 साल में बने इस सफल मॉडल को देश के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में दोहराया जा सकता है।--मंदीप
छोटा मुंह बड़ी बातदिल्ली के शिक्षा मॉडल को देखने के लिए
पंजाब की टीम गई तो उसका विरोध भी शुरू हो गया।कई लोगों को
बहुत बुरा लगा।दूसरी ओर पंजाब के गांव में किस तरह 100
बच्चों ने बिजनेस मॉडल तैयार किया, जिसे देखने दिल्ली से
डिप्टी चीफ मिनिस्टर स्वयं टांगरा गांव में आए, यह जानने के
लिए कि यह सब कैसे किया गया। हमारी टीम से हर छोटी छोटी बात
पूछी उन्होंने। टीम को बहुत उत्साहित किया और हमें उस वक्त
बहुत अच्छा लगा। दिल्ली जाकर हर एक बड़ी स्टेज पर उन्होंने
बेझिझक पंजाब के इस गांव के बच्चों के इस बेहतरीन काम की
बहुत सराहना की। यह मॉडल भारत के तकरीबन सभी गांव में कॉपी
किया जा सकता है ताकि बच्चों को रोजगार मिल सके।अगर कोई काम
अच्छा हुआ है, जिसको सुनकर हारवर्ड जैसी दुनिया की बेहतरीन
यूनिवर्सिटियों ने उन्हें पास बुलाकर सम्मानित किया, यदि कुछ
अपना और कुछ दूसरों का तजुर्बा मिल कर बच्चों के लिए कुछ
अच्छा कर जाए, तो इसमें हर्ज भी क्या है? पंजाब में एक से एक
बेहतर सरकारी स्कूल हैं। अध्यापकों को शौक भी है बच्चों को
पढ़ाने का। मैंने पिछले 5 सालों में पंजाब के लगभग 500 स्कूल
खुद देखे हैं। हमें यह मान लेना चाहिए कि हमारे पंजाब में
तकरीबन 80% से ज्यादा स्कूलों को सहूलियतें चाहिए और बच्चों
को बिल्डिंग से 95% ज्यादा स्कूलों में पढ़ाई की जरूरत है
ताकि वह एक प्राइवेट स्कूल के बच्चे के बराबर पढ़ सकें,
बल्कि उन से भी बेहतर बन सकें।-मंदीप।
--मंदीप
मां...जब मैं मां के गर्भ में थी, तब से ही उन्हें फिक्र थी
कि बच्चे को किस स्कूल में पढ़ाएंगे। बेटी को उन्होंने इलाके
के सबसे बढ़िया स्कूल में दाखिल करवाया। सबसे अच्छी शिक्षा
दिलवाने के लिए उन्होंने अपना छोटा-मोटा सोना बेचना भी
सामान्य समझा। शायद उन्हें पता था कि वह हीरा तराश रही हैं।
आज भी काम में मेरे साथ 20 घंटे जागने से मम्मी संकोच नहीं
करती हैं। कारोबार में खास तौर पर मेरी मदद करती है।
रोना-हंसना सब उन्हीं के कंधे पर होता है... भले ही इतनी जान
नहीं है उनके शरीर में फिर भी जान लगा रहे हैं मेरे साथ दिन
रात। कई सपने हैं... पता नहीं मुझसे वे पूरे होंगे या नहीं।
मेरे पिता मुझे बेशुमार प्यार करते हैं। पर आखिरी पल तक अपना
बेहतर देना, कभी ना थकना, खूब पढ़ना... मां ने ही सिखाया है।
मां है तो आज मैं हूं। "मैं अपनी मां की सोच हूं और
अपने पिता का ख्वाब हूं।" अगर बच्चे अपने मां-बाप के
कदमों में झुकते हैं, उनकी हां में हां मिलाते हैं... उन्हें
साथ लेकर चलते हैं... जिंदगी में उनकी सफलता को कोई ताकत
नहीं रोक सकती। उन बच्चों की तरक्की तय है। ईश्वर अपने बहुत
नजदीक रखता है उन बच्चों को।
--मंदीप
मुझे याद है पढ़ाई के दौरान मन पर बहुत बोझ होता था। हमेशा प्रथम आने का। मेरे लिए पैसे जुटाने के लिए परिवार ने कड़ी मेहनत की। मैं प्रतिदिन विश्वविद्यालय बस से जाती थी, इसमें बहुत समय लगता था। खासकर सर्दियों में। इस दौरान मैं घर पहुँचते ही खाना खा कर सो जाती थी और फिर रात के 11-12 बजे उठकर सुबह तक पढ़ाई करती थी। मुझे खूब रोशनी वाला हुआ कमरा पसंद था। इसी लिए मेरे पिताजी ने तेज़ रोशनी वाले बल्ब और ट्यूबलाइट मेरे कमरे में लगवा दी थीं। मुझे लगता था कि तेज़ रोशनी मुझे जगा कर रखेगी। रात को पढ़ने बैठती तो उसके बाद सोती नहीं थी और सीधा ही तैयार हो के विश्वविद्यालय चली जाती। कई बार बाल बस में ही बांधती। एक तरफ का बस में सफर 65 किलोमीटर का था। कभी छुट्टी लेने के बारे में नहीं सोचा। किसी लैक्चर तक को मिस करने का ख्याल कभी मन में नहीं आता था। हर वक्त मुझे पिता जी द्वारा अदा की गई फीस की याद आती थी। पढ़ाई के दौरान खासकर MBA करते हुए मेरे अंदर हमेशा प्रथम आने का जुनून था। मुझे लगता था की मैं अपने परिवार को 100 रूपये भी कमा कर नहीं दे पा रही हूं तो बस पहले नंबर पर आ कर उनको खुश कर सकती हूँ। PhD करने का बहुत मन था, पर सब के ख्याल में यह आता की बस अब और कठिनाइयां नहीं। पहले नौकरी की और फिर अपना कारोबार … जिंदगी में बहुत से लोगों ने मुझसे मुंह मोड़ लिया… उन्होंने भी जिन पर मुझे भगवान के बराबर भरोसा था, लेकिन मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा…
सपने देखना और उन्हें पूरा करना हमारी आत्मा का अधिकार है। ईश्वर ने हमें अपार शक्ति दी है। उसने हमें इस धरती पर कड़ी मेहनत करने के लिए भेजा है। हमें एक अच्छा प्यार करने वाला इंसान बनने के लिए जीवन दिया है। हम कठिनाइयों को सहते, गिरते संभलते मंजिल तक पहुंच सकते हैं। पर, सपने हमारे अपने हैं।किसी से मदद की उम्मीद किए बिना अपने जज्बे को बुलंद रखना चाहिए। बहुत से लोग काफी नजदीकी होने के बावजूद एक दिन हमें छोड़ देंगे, लेकिन हम अपनी सोच, अपनी क्षमताओं, अपने अस्तित्व, अपने सपनों का अनादर नहीं कर सकते। जीवन में कोई हमारे साथ मिल कर संघर्ष करे या न करे, लेकिन हमारे लिए यह होना चाहिए कि "संघर्ष करते रहना ही वास्तविक जीवन होना चाहिए"।चिलचिलाती रेत में भी फूल होते हैं.. बवंडर में भी खिलते हैं.. रंग-बिरंगे होते हैं.. अपने जीवन के सपने को पूरा करते हैं.. इस जीवन के लिए परमात्मा का धन्यवाद करो, शिकायत नहीं।
जिसको काम करने का तरीका, उसका गाँव ही अमरीका !!हर वो नौजवान जो पंजाब में कारोबार स्थापित करने का सपना देख रहा है, वह दूसरों के लिए रोजगार पैदा करने की हर संभव कोशिश कर रहा है, खासकर गांवों में। मैं हमेशा आपके साथ हूं। हम अपने विचारों को अच्छे से सांझा कर सकते है और अपना सपना सच करने की हिम्मत जुटा सकते हैं।facebook link
मेरे गांव टांगरा या हमारे प्रदेश को ही नहीं बल्कि पूरे देश के ग्रामीण इलाकों को इस वक्त सफेदपोश नौकरियों की जरूरत है। हमारे आईटी कंपनी SimbaQuartz के मॉडल की बेमिसाल संकल्पना की सराहना सबसे पहले Manish Sisodia जी ने की। उन्होंने माना कि यह बेरोजगारी और भारत से युवा और प्रशिक्षित लोगों के पलायन को रोकने में कारगर कदम होगा। मुझे हमेशा यह एहसास था कि अपनी प्रतिबद्ध टीम के साथ मैं कुछ ऐसा कर रही हूं, जो पहले कभी नहीं हुआ। हमारे गांव बैंकों, भंडारण और पारगमन या इंटरनेट आदि सेवाओं के लिए कभी उपयुक्त नहीं माने गए। लेकिन 10 साल में अनेक तरह के प्रयास और प्रयोग करने के बाद आज हम एक ऐसा सफल बिजनेस मॉडल तैयार कर पाए हैं, जिसमें 100 से अधिक लोग ग्रामीण क्षेत्र में आईटी का काम कर रहे हैं। आने वाले समय में मैं इस क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं दिखती हूं। विकास या सफलता हमेशा अपनी आमदनी बढ़ाकर ही नहीं होती। एक बिजनेस मॉडल विकसित करने और उसे अन्य स्थानों पर भी दोहराने से लाखों लोगों की जिंदगियों में बदलाव लाया जा सकता है। यह भी विकास का ही एक उदाहरण होगा।
#aappunjab पंजाब एक दिन में बदला बदला सा लग रहा है। मन और दिल में सुकून है, नई उम्मीद, नया जोश है.. भ्रष्टाचार हो, खराब शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, नशा हो, बेरोजगारी हो, हर तरह का अहंकार हो, इन सब से पंजाब थक चुका था... और अब ऐसे लग रहा है कि पंजाब ने फिरसे जन्म ले लिया है। मुझे लगता है मेरे जीवन में जो मुश्किलें मुझे व्यापार करने में इतनी रुकावट पैदा करती थी वो मेरी ईमानदारी की वजह से आई... अब वो नहीं आएगी... पंजाब "आप" से उम्मीदों से भरा है... अब सड़क से उठाकर किसी को अस्पताल ले जाने में डर नहीं लगेगा। बेटियां भी खुलकर सांस ले सकेंगी। पंजाब सही है और सही को सही कह रहा है... यह एक सच में बड़ा बदलाव होगा। हमारी जिम्मेदारी है कि इस अवसर के साथ साथ नई सरकार को समय और सहयोग भी दे। - मनदीप कौर टांगरा
आज अपने दिल्ली दौरे के दौरान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया जी और श्रीमती आतिशी मार्लेना जी से उनके दिल्ली कार्यालय में मुलाकात हुई। चर्चा के दौरान उन्होंने गांव टांगरा (पंजाब) में संचालित हमारी IT कंपनी SimbaQuartz की प्रशंसा की। उनकी प्रशंसा ने हमें और अधिक दृढ़ संकल्प और अधिक जुनून के साथ काम करने के लिए प्रेरित किया। अपने भाई मनजोत सिंह के साथ श्री मनीष सिसोदिया जी और श्रीमती आतिशी मार्लेना जी को मिलकर बहुत अच्छा लगा। सम्मान देने के लिए उनका धन्यवाद।
यह एक बेहद खूबसूरत और मुबारक पल है कि आज शाम को आदरणीय डिप्टी मुख्य मंत्री श्री Manish Sisodia जी ने हमारी कम्पनी SimbaQuartz, गांव टांगरा में पहुंच कर मेरे, मेरे परिवार और मेरी पूरी टीम के साथ मुलाकात करके हमारा हौंसला बढ़ाया। हम सब अपनी कंपनी SimbaQuartz को सनमानता मिलने पर खुश हैं क्योंकि इस कम्पनी ने ग्रामीण इलाके में एक नए व्यवसाय मॉडल को स्थापित किया हैं। मान्यवर, इस वनिम्र सम्मान और प्रेरणा देने के लिए आपका बेहद धन्यवाद करते हैं और इसके साथ ही मैं अपनी 113 लोगों की टीम को भी बड़ा श्रेय अर्पित करना चाहूंगी जो मेरे साथ मिलकर गांव (टांगरा) में काम कर रहे हैं।
लोग सज़ा देते हैं, ना बोलकर हमसे। थोड़ा और समझ लीजिए की ख़िताब जीतने की चाह हम कभी रखते भी नहीं ।
जो जियें ही दूसरों के लिए पहलेवो क्या डरें मौत के खबरनामो से..जिनको खरीद ना सके कोई दौलत सेवो क्या बिकेंगे हीरों की खानों से..अगर इतना है, अहंकार मन मेंज़रा खरीद के दिखाओप्यार बड़ी बड़ी दुकानों से...! ~ मंदीप
गुलाब सी रूह को गुलाब की तरह रखें। आत्मा को बेशुमार प्यार करें। गुलाब, गुलाब ही रहते हैं, फिर चाहे वो ख़ुशी का वक़्त हो या मौत का वक़्त। वह अपनी खुशबू नहीं छोड़ता, हमेशा हर मौके पर एक जैसा रहता है, अपने खूबसूरत अहसास को नहीं छोड़ता। रूह सभी दुखों और सुखों को सहन करती है, लेकिन रूह को गुलाब की तरह खिलते रहना चाहिए। ऐसी निस्वार्थ खुशबू के मालिक बनें तांकि जो आपके साथ हैं, उनका दुःख भी कम होता जाए और खुशियाँ बढ़ें। अपने सुख-दुख के बारे में इतने स्वार्थी ना बनें, कि आपकी रूह की महक, आत्मा की सुगंध, रूह का सकून किसी तक न पहुंचे। आप गुलाब की तरह हैं चाहे कोई भी वक़्त हो, भले ही कांटो से घिरा हो, धैर्य के बल पर आप सब बेशुमार प्यार, नम्रता, विनम्रता की खुश्बु फैलाते रहो। गुलाब बनों। - मनदीप
ऐसी महिला बनो जो जीवन भर पढ़ना और सीखना कभी ना छोड़े। पैसे के लिए अपने पिता, पति, भाई पर निर्भर न होना पड़े, बल्कि खुद नौकरी या कारोबार करके अपने परिवार के साथ-साथ दूसरों की भी आर्थिक मदद करें। कभी भी किसी अनजान का पैसा उपयोग करके खुद को मत झुकाए।”"ऐसी महिला बनो जो अपनी क्षमताओं में विश्वास करती है, न कि अपनी सुंदरता में। जो अपनी पढ़ाई, अपने हुनर का सम्मान करती है और लगातार उन्हें निखारती संवारती हैं। कपड़े, गहनों से नहीं, गुणों से भरपूर बनो।"ऐसी महिला बनें जो दयालुता से भरी हो और जीवन जीने की इच्छा रखती हो" वह जो दुनिया को सच में बेहतर स्थान बनाने की ताकत रखती हो, अधिक शांतिपूर्ण और अधिक विनम्र। अत्यंत मेहनती बनो, साहसी बनो, मददगार बनो, और खुशी से जीवन व्यतीत करो, खुशियाँ बांटो। आप एक महिला हैं, इसे स्वीकार करें और खुद पर गर्व करें। ख़ुदा का शुक्र करो। - मनदीप
ਕੱमाफ़ करना खुद की रूह को सकून देने जैसा है। मैंने जीवन में हर तरह के व्यक्ति को माफ़ किया है। जिसने आत्मा को परेशान किया हो, जिसने बुराई की हो, जिसने धोखा दिया हो, जिसने अन्याय किया है, क्योंकि दूसरों को चिढ़ाना उसका संस्कार है और क्षमा करना हमारा। जिसकी सोच-समझ छोटी हो, जिसका दायरा ही सीमित हो उसके साथ गिला-शिकवा किस बात का? ऐसे व्यक्ति की मानसिकता पे रहम करें। सच्चे दिल से प्रार्थना करें कि भगवान उसे समझ दें। हर दिन बड़ी से बड़ी गलती को भी माफ़ करने का अभ्यास करें। खुश रहें।
मेरे माता-पिता की बेटी के रूप में, मेरी क़ाबलियत में अटूट विश्वास ने मुझे आज लाखों लोगों के दिलों तक पहुंचाया है। जो माता-पिता अपनी बेटियों पर विश्वास करते हैं, वो उनकी शादी के बजाए उनकी पढ़ाई में ज्यादा ध्यान देते हैं। बेटियाँ तो वैसे ही बहुत खूबसूरत होती है इसलिए उन्हें गहने पहनाने की बजाए, उन्हें खुद के पैरों पर खड़े होकर कमाने के लिए प्रेरित करें। रोने वाली नहीं, जवाबदेह बनाए। ऐसे भटकते समाज में बेटी बहुत से लोगों का सामना करती है, लोगों की दुर्भावना, छूने की लालसा, पैसे के जाल में फंसने की भद्दी चाल, उसके दर्द को सुनने का नाटक, उसके हाव-भाव, बेटी के साथ धोखा, इन सब को बेटी की गलती का नाम मत दीजिएगा। कई हजार पल बेटी अपने अंदर दफनाकर अपने परिवार को प्यार करती हैं, अपनी आज़ादी बनाए रखने की कोशिश करती है। हर महिला यह बात अंदर से जानती है कि महिला का जीवन कितना कठिनाईओं भरा होता हैं! बेटियों का समर्थन करें, उनकी गलतियों को माफ़ करें, उनके पंख बनें।
मेहनत' को 'किस्मत’ कहने वाले लोग यूँ ही मिल जाएंगे, स्वार्थी होंगे। जो लोग आपकी सफ़लता के पीछे आपकी कड़ी मेहनत को देखते हैं वह साधारण नहीं हैं, न ही स्वार्थी। ऐसे दोस्त जो आपकी कड़ी मेहनत की क़दर करते हैं, अगर वो ज़िन्दगी में हैं, तो उसे 'किस्मत' कहा जा सकता है। उन लोगों की इज़्ज़त करें, उनका सम्मान करें जो आपको होंसला देते हैं, प्रोत्साहित करते है। कदम कदम पे आपको प्रेम करने वाले अनगिनत लोग है, मैं अपनी ज़िन्दगी में ये महसूस करती हूँ। कई बार जब मैं सोचती हूँ कि मुझे ढेर सारा प्यार, सराहना करने वालों के लिए क्या कर सकती हूँ? तो मेरे लिए यह अकेले सोचना और इसका हल निकालना असंभव सा लगता है परन्तु वो कहते है न कि हर सवाल का जवाब और हर समस्या का हल 'गुरबाणी' प्रदान कर देती है। जवाब था, "सरबत दा भला" अर्थात सबकी भलाई के लिए परमात्मा से प्राथना करें। ज़िन्दगी में आए हर उस इंसान का उतना शुक्रिया करना शायद मुश्किल हो जितना वो हमे प्यार करता हैं , पर सच्चे दिल से, रूह की गहराई से "सरबत दा भला" माँगते रहना ही इसका उत्तम एंव श्रेष्ट हल हैं।
लॉकडाउन में सब कुछ बंद होने के साथ ही शिक्षा के संस्थान भी बंद हुए जिसके के कारण हर वर्ग, हर उम्र के विद्यार्थी को इस समस्या का सामना करना पड़ा मगर यहाँ पर सबसे ज़्यादा दिक्कत विशिष्ट बालकों को हुई हैं जो पहले से ही अपनी कमज़ोरियों को ताक़त बना के आगे बढ़ते हैं, आम बच्चों की तरह शिक्षा ग्रहण करने की कोशिश करते है परन्तु वशिष्ट बालकों को पढ़ने लिखने के लिए उत्तम गुरु की ज़रूरत होती है! शिक्षक और विद्यार्थी का आपस में ताल मेल रहना बहुत आवश्यक होता हैं, वजह यही हैं कि जो बालक देख नहीं सकते, सुन नहीं सकते या बोल नहीं सकते! वह घर में बैठे 'ऑनलाइन क्लास' कैसे लगा सकते हैं? भारत में पहले से ही वशिष्ट बालकों के आंकड़ों में से सिर्फ एक चौथाई हिस्सा ही शिक्षा ग्रहण कर रहा हैं जो कि देश के उज्जवल भविष्य के विरुद्ध हैं। सबको शिक्षा का अधिकार हैं और हर माँ बाप को अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में सहायता करनी चाहिए बजाए की उनकी समस्याओ को उनकी कमज़ोरी बनाना। वशिष्ट बालक बहुत नादान होते है बल्कि साधारण बच्चों से ज्यादा मासूम होते है, और रही बात ऑनलाइन पढ़ाई की तो जिस तरह नवमीं से बारहवीं तक के बच्चों के लिए स्कूल खोले गए है इसी तरह वशिष्ट बालकों को स्कूलों में पढ़ाई करने की सुविधा प्राप्त कराई जाएं तांकि वह अपने अध्यापक के सम्पर्क में रहकर अच्छे ढंग से शिक्षा को ग्रहण कर सकें।
इस दुनिया का सामना करना है तो ईमानदारी के शिखर पे रहें। संस्कार और शिक्षा के महत्व को समझें। काम को बड़ा-छोटा मत समझें। अपने माता-पिता से ऊपर किसी को भी दर्जा न दे। जीवन में अलग पाने के लिए, अलग रास्ते चुनें। समझें कि मैं खामियों से भरा हूं, आलोचना कभी चोट नहीं पहुंचाएगी।
बेटियाँ बहुत प्यारी होती हैं। बेटी होना किसी आशीर्वाद से कम नहीं, भग्यशाली घरों में जन्म होता है बेटियों का। बेटियों पर विश्वास करें, वे दुनिया के सामने एक मिसाल कायम करने की लगन रखती हैं। उन्हें हमेशा प्यार और सम्मान के साथ आशीर्वाद दें। बेटियों की सफलता में माता-पिता का सबसे बड़ा योगदान होता है। मेरे माता-पिता का मुझ पर भरोसा शायद मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत तोहफ़ा है। माता-पिता ने हमेशा सही दिशा में जाने के लिए प्रेरित किया। मुझे अच्छी शिक्षा प्रदान करवा के खुले आसमां में उड़ने की आज़ादी दी। माता-पिता का सिर पर रखा हुआ दुआओं भरा हाथ ही शायद बेटियों की मुस्कान को बनाए रखता है। जिन लोगों को अपनी बेटियों की क्षमताओं पर पूरा भरोसा है, मैं हमेशा उन माता-पिता की सोच को दिल से स्लाम करती हूं।
जीवन एक बहुत ख़ूबसूरत तोहफ़ा है, उसके लिए जिसने अत्यंत पीड़ा में जीना सीख लिया है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दिमाग कितने बोझ नीचे दबा है, दिल कितना सहमा हुआ है। हर हालत में, मुस्कुराहट हमारी असली ताकत, बल, शक्ति और दूसरों के लिए प्रोत्साहन, प्रेरणा, साहस है। धीरज के बहुत इम्तिहान होंगे, धीरज एक कमजोरी नहीं बल्कि एक ताकत है, क्योंकि रोना, खोना, जीवन समाप्त करना धीरज से आसान है। ज़िन्दगी में आने वाली मुश्किलों का डट के सामना करें। ईश्वर प्रदत्त आत्मा, शरीर की क़दर करें। खुद से बहुत प्यार करें, कड़ी मेहनत करें, अपना ख्याल रखें। भावुक हो के किसी को अपनी ज़िन्दगी की चाबी ना दें। यह एक जीवन है, दिल की सुनो, हम इंसान हैं, बेजान कठपुतलियाँ नहीं।
जब आप अपने पैरों के बल हो जाते हो, तो दुनिया आपके सफ़र को, आपके जीवन को बहुत आसान समझती है। लेकिन किसी भी सफल व्यक्ति की सफल मुस्कान के पीछे ज़िंदादिल पल होते हैं। क़िस्मत भी केवल उन लोगों का साथ देती है जो कड़ी मेहनत करते हैं। धन की प्रगति तो हर कोई कर सकता है लेकिन हमें यह समझने की ज़रूरत है कि असलीयत में प्रगति खुशी और मन की शांति में है। मन की वास्तविक शांति के लिए निस्वार्थ होने का अभ्यास करें।
मेहनत को सलाम! मेरे गाँव से एक बेमिसाल प्रेरणा! मुझे उच्च पढ़ाई करने, नौकरी करने, अमेरिका में रहने का मौका मिला, लेकिन मैंने अपने ही गाँव में रहकर व्यवसाय स्थापित करने का सोचा और आज वो कर भी रही हूँ। चलिए, मेरे गाँव के "जोबन" से मिलते हैं - उनके पास कोई कंप्यूटर विज्ञान पृष्ठभूमि नहीं है, हालाँकि आज एक शानदार कोडर है। उन्होंने नवीनतम तकनीकों में सॉफ्टवेयर सीखने और अपने अंग्रेजी भाषा में सुधार करने के लिए, दिन-रात काम किया है। चार साल पहले, मेरी कंपनी में पहले साल, वह प्रति माह 10,000 रुपये से कम कमा रहा था, लेकिन आज उसने अपनी योग्यता में इतना सुधार कर लिया हैं कि उसके लिए अपने वेतन का छह गुना सैलरी साबित करना आसान सी बात है और आने वाले वर्षों में निश्चित रूप से दस गुना। वह एक शानदार विजेता बन गया है, एक बहुत मेहनती टीम का साथी, वर्तमान में अमेरिका-आधारित कई परियोजनाओं को संभाल रहा है और वह हमारे ग्राहकों का पसंदीदा है। ऐसे लोग अपने गाँव छोड़कर विदेश में क्यों बसेंगे?मैं अपनी कम्पनी में ऐसी दिल को छू जाने वाली उदाहरणों को ही अपनी उपलब्धि मानती हूँ। मेरे लिए, सफलता कभी भी भवन, धन, विलासिता और प्रसिद्धि नहीं हैं। मेरी सफलता में निहित है कि मेरे गाँव की जड़ों से कितने लोग योग्य हैं, ताकि मैं उन्हें दुनिया के किसी भी कोने में बैठे अपने ग्राहकों के पसंदीदा या प्रशिक्षित करने और बेहतरीन डेवलपर बना सकूँ। जीवन एक आशीर्वाद है - मैं और जोबन पंजाब के एक ही गाँव टांगरा से हैं- मुझे उनकी मेहनत, समर्पण और अधिक से अधिक सीखने की उनकी उत्सुकता पर गर्व महसूस होता है! वह एक रत्न है! वह मेरी दृष्टि का प्रतिबिंब है।
यह कहानी नहीं एक बेहतरीन मिसाल हैं !! गांवों में प्रतिभा की कमी नहीं, बल्कि अवसरों की कमी है। मुझे नहीं पता कि ऐसी कितनी बेटियाँ होंगी जिनकी कौशल और योग्यता इसी वजह से दब चुकी होगी और आज भी दब रही होगी। मुझे अपने गाँव टांगरा में स्थापित किये हुए IT व्यवसाय को देखकर तब बहुत खुशी होती हैं जब मैं अपने ही गाँव की युवा पीढ़ी को अपने कार्यालय में कड़ी मेहनत करते देखती हूँ। अक्सर मैं सभी को अपने गाँव के बच्चों की प्रतिभा के बारे में बताती हूँ। जतिंदर कौर भी मेरे गाँव टांगरा से ही है, जो कड़ी मेहनत और प्रतिभा का एक उदाहरण है। BCA की डिग्री पूरी करने के बाद, जतिंदर ने इंटरव्यू पास किया और हमारी IT कंपनी SimbaQuartz का हिस्सा बने। कंपनी के वरिष्ठ इंजीनियरों से लगातार प्रशिक्षण के बाद, आज जतिंदर कंपनी के एक बहुत ही महत्वपूर्ण टीम के सदस्य हैं। जतिंदर कई गाँव की बेटियों के लिए एक उदाहरण है जो घर बैठे कुछ भी करने के लिए अपने जीवन से खूब शिकायतें करते हैं। जब जतिंदर चार साल की थे, तब उनके पिता इस दुनिया में नहीं रहे। उनकी माँ की कड़ी मेहनत को सलाम जिन्होंने एक माँ और साथ ही एक पिता के कर्तव्यों को निभाया। उन्होंने सिलाई की और अपनी बेटी को कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करवाई । जतिंदर उनकी मेहनत और विश्वास का मूल्य कभी नहीं चुका सकते। उन्हें सीखने का शौक है और उन्होंने ई-कॉमर्स वेबसाइट और ग्राफिक डिजाइनिंग की कला में महारत हासिल की है। आज, जतिंदर ने संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में हर देश के लिए वेबसाइटें बनाई हैं। जतिंदर कम उम्र से ही अच्छी कमाई कर रही है और मैं यकीन रखती हूँ कि जतिंदर अपनी मेहनत के कारण बहुत आगे बढ़ेगी। जो लोग हलातों का सामना करते हैं वे कभी नहीं गिरते और सफलता निश्चित रूप से एक दिन न एक दिन उनके पैर चूमती हैं। बेटियों पर यकीन करो, वह भी बाहर के देशो की तरह पंजाब में खूब विकास कर सकती हैं और कमा सकती हैं।
हिदुस्तान में जाने माने स्कूल, कॉलेज एंव विशवविद्यालय है
जिनमे भारतीय IIT (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) प्रथम स्थान
पे आते हैं। पूरे भारत में कुल 23 IIT's (भारतीय
प्रौद्योगिकी संस्थान) हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में
प्रवेश करने के लिए बहुत ही कठिन परीक्षा होती हैं। जिनमें
संयुक्त प्रवेश परीक्षा (Joint Entrance Examination) के दो
पड़ाव होते हैं - जेईई मेन (JEE Main) और जेईई एडवांस (JEE
Advance)।हाल ही में हुए JEE Advance-2020 के नतीजे सामने आए
जिसमें राज्य महाराष्ट्रा के शहर पुणे के निवासी 'चिराग
फलोर' ने सबसे ज्यादा अंक प्राप्त करके शीर्ष स्थान
हासिल किया हैं। चिराग फरोल बहुत ही उत्तम एंव होशियार
विद्यार्थी हैं। पिछले साल 2019 में हुए 13 वें
अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड में 'चिराग फलोर' ने
एस्ट्रोनॉमी में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का सर पूरे विश्व में
ऊँचा किया था।इसके अलावा मेरे राज्य पंजाब में जालंधर वासी
'उज्वल मेहता' ने JEE Advance-2020 में पूरे सूबे
में प्रथम स्थान हासिल किया। 'उज्जवल' पिछले चार
सालो से JEE की परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था और आज उसकी की
हुई तैयारी का मकसद बहुत ही प्रशंसात्मक तरीके से पूर्ण
हुआ।JEE की परीक्षाओं में सफलता हासिल करना बहुत ही मुश्किल
होता हैं परन्तु असंभव नहीं। किसी भी चीज़ को हासिल करना और
सपनों को पूरा करने के लिए दिल में जनून और आत्मविश्वाश होना
चाहिए। जिस तरह 'चिराग', 'उज्जवल' और
अन्य 43,202 विद्यार्थीओ को उनकी कड़ी मेहनत के बल पर सफलता
प्राप्त हुई। देश के उन सभी उज्जवल भविष्य को हार्दिक
बधाई।
ਟੁੱदरिंदगी की कोई सीमा नहीं ख़ासकर मेरे देश में! आखिर कब बदलेगी हमारी सोच? कब मिलेगी वो सुरक्षित आज़ादी देश की महिलाओं को? अभी निर्भया, कठुआ, उन्नाओ और ऐसे अनगिनत बलात्कारों की आग सीने से बुझी नहीं होती और आये दिन एक ओर दिल दहला देने वाली ख़बर सुनने को मिल जाती है। दो हफ्तों पहले उत्तर प्रदेश के गांव हथरस में एक दलित परिवार की 19 साल की बेटी के साथ उच्च वर्ग के चार दरिंदो ने दुष्कर्म किया, उसे मारा पीटा गया, यहाँ तक की उसका गला दबाकर मारने की कोशिश भी की गई मगर गांव वालो को पता चलने पे उसे ज़िले के हस्पताल लिजाया गया। मगर हलात काबू से बाहर होने की वजह से मनीषा को दिल्ली के सफदरजंग हस्पताल में भर्ती कराया यहां पिछले कल उस बेगुनाह पीड़ित ने दम तोड़ दिया।हमारे देश में नए नए कानून जरूर बनेगे, हर रोज़ बनेगे मगर महिलाओं की कड़ी सुरक्षा के लिए यहां ऐसा कुछ नहीं! यहां पर तो ऐसा हैं की जिसके साथ गलत हो उसे ही दर दर भटकना पड़ता है, कोर्ट के चक्र लगाने पड़ते हैं। ये कहाँ का न्याय हुआ? अभी कुछ दिन पहले सबने खूब बेटी दिवस मनाया। सबने खूब सोशल मीडिया पे बेटी दिवस की बधाई दी ! क्या फायदा उन शुभकाममनायो का जब हलात और हक़ीक़त ही कुछ और कहते हैं? कुछ दिन के लिए जस्टिस के हैशटैग होंगे और फिर सब इंतज़ार करेंगे होने वाले अगले बलात्कार का! क्यों भई? क्योकि हमारे समाज में कर्त्तव्य तो बस यही तक है। जनम लेने से पड़ने तक, पड़ने से नौकरी तक और नौकरी से फिर बहु बनने तक फिर माँ फिर सास बनने तक पूरी ज़िन्दगी संघर्षो भरी ही तो चलती हैं। इंसान थोड़ी हैं मनोरंजन का एक साधन हैं जब मन करे जैसे करे बस इस्तेमाल में आना चाहिए। जिस बच्ची को जन्म लेते ही मार देते हैं यह कहकर की ये लड़की हैं तो उन लोगो के लिए बलात्कार करके, मार पीट के, जला के फेंक देना कौन सा बड़ी बात हैं ! अनुरोध हैं उन समाज के ठेकेदारों से अगर नहीं कर सकते हिफाज़त इस समाज में दूसरी बेटियों - महिलाओं की तो सच में पैदा करके इस दुनिया में मत लाना इन मासूमो को और चेतवानी हैं उन दरिंदो को संभल जाओ , सुधर जाओ ! हम शांत है तो इसका मतलब ये नहीं की हममें आग नहीं डर तो ये है कही समुद्र कम न पड़ जाये इसे बुझाने को।मुझे दिल से अफ़सोस है कि बहुत गलत हुआ मनीषा के साथ। उसकी आत्मा की शान्ति के लिए प्राथना करती हूँ और आशा करती हूँ की बहुत जल्द मनीषा के गुनहगारों को कड़ी सज़ा मिले और मनीषा को उसका इन्साफ मिले।
जो जियें ही दूसरों के लिए पहले
वो क्या डरें मौत के
खबरनामो से..
जिनको खरीद ना सके कोई दौलत से
वो
क्या बिकेंगे हीरों की खानों से..
किसी बात को समझें ना
ग़म हम
हमारी साँसें चलतीं हैं मुस्कुराने से
अगर
इतना है, अहंकार मन में
ज़रा खरीद के दिखाओ,
प्यार
बड़ी बड़ी दुकानों से...!
बहुत ही खूब गाना लिखा और गाया गया विक्रांत कपूर जी के दुवारा। Angels Paradise Pre School के अध्यक्ष श्री विक्रांत कपूर जी ने जिस प्रकार बेहतरीन लफ्ज़ो में गाने को लिखा उसी ही अंदाज़ में उन्होंने गाने को गाया भी। इस महामारी में डॉक्टर्स और पुलिस हमारे लिए फ़रिश्तो का रूप है परन्तु कही न कही देखा जाए तो अगर आज वो इस मुकाम पर है तो सिर्फ और सिर्फ शिक्षको की वजह से। मैं उन सब फ़रिश्तो का तह दिल दे शुक्रियादा करती हूँ और इन सब को आज ये मुकाम हासिल करने के पीछे रहे बहुत ही महान और विद्वान अध्यापको को दिल से सलाम भी करती हूँ। मैंने इस lockdown में ये भी देखा कि चाहे स्कूल बंद थे परन्तु अधियापको ने कड़ी मेहनत कर बच्चों को घर में शिक्षा प्रदान की जिससे कही न कही हमारे देश का भारी नुक्सान होते हुए बच गया।
लद्दाख के गैलवान में हमारी मातृभूमि की रक्षा करते हुए हमारे बहादुर सैनिकों को खोने का दर्द शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। मैं अमर नायकों को सलाम करती हूँ जिन्होंने भारतीय क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है। मैं प्राथना करती हूँ, भगवान् हमारे अमर जवानों के परिवारों को इस दुखद घड़ी में हिम्मत और दिलासा दे। मेरी संवेदना उन सभी परिवारों के साथ........ 🙏
मेरे मार्गदर्शकों में से एक और मित्र अवनीश कुमार सिंह जी की कहानी जरूर सुनिए और उनके मिशन में उनका साथ दीजिये -कई बार जीवन मे कुछ पड़ाव ऐसे आते हैँ जब लगता हैँ कि आप बस टूटने वाले हो और जाने कहाँ कुछ अच्छे इंसान आते हैँ, आपकी ताकत बनते हैँ और आपकी जिंदगी बदल जाती हैँ | सही समय पर उनका निस्वार्थ साथ आपको को नकारात्मक सोच और निराश जीवन से बचा लेता है| सोचिये कि यही सहारा और विश्वास हर व्यक्ति को सही समय पर मिल जाये तो एक समृद्ध, सुदृढ़ और सभ्य समाज की कल्पना सत्य मे बदलते देर नहीं लगेगी | आज के कोरोना काल मे लाखो लोगों को किसी ना किसी तरह के सहारे की जरुरत है | आइये हम कोश्शि करें की समय पर हम उनके साथ खड़े हो ताकि उनमे से हर एक आगे चल कर प्रगति करे, नेगेटिविटी से बचा रहे और एक अच्छे समाज का निर्माण हो सके |- मंदीप कौर सिद्धु
मत समझो हम मदद करने आते हैं , कहीं ना कहीं उदासी भुलाने के लिए आते हैं, ख़ुशी लेने आते हैं ! - मंदीप
Recognized by The Prime Minister of India and various Chief Ministers of the country, Mandeep Kaur Tangra is a well known Motivational Speaker, Business Consultant & Life & Career Counsellor, given her talks multiple times at TEDx, Corporates, India's top educational institutes like IITs, IIMs, NITs and more, all around the globe including countries like United States & Dubai.